जकर्याह और यूहन्ना की कहानी, उन पर शांति हो: प्रार्थना का चमत्कार और धर्मी संतान का आशीर्वाद

महान भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेखों में, जकर्याह और यूहन्ना (उन पर शांति हो) की कहानी, ईश्वर की प्रार्थनाओं के उत्तर, धर्मी संतानों के सम्मान और शुद्ध भक्ति के प्रकाश के एक महान संकेत के रूप में सामने आती है। यह एक ऐसी कहानी है जो निराश दिलों में उम्मीद का बीज बोती है, यह दर्शाती है कि ईश्वर की दया और शक्ति उम्र या परिस्थितियों तक सीमित नहीं है, और लगातार और ईमानदारी से की गई प्रार्थना असंभव के द्वार खोलती है।
जकर्याह, शांति उस पर हो: बुढ़ापा और अंतहीन आशा
जकर्याह, शांति उस पर हो, एक धर्मी नबी था जिसे यरूशलेम का संरक्षक और वर्जिन मैरी का संरक्षक नियुक्त किया गया था, शांति उस पर हो। जकर्याह पहले से ही वृद्ध था, और उसकी पत्नी बांझ थी। ये मानवीय परिस्थितियाँ बच्चों की आशा के द्वार बंद कर सकती थीं, लेकिन जकर्याह का दिल विश्वास और निश्चितता से भरा था कि ईश्वर की शक्ति सभी कारणों और बाधाओं से ऊपर है।
जकर्याह ने मरियम के प्रति परमेश्वर की उदारता को देखा, और कैसे बिना किसी स्पष्ट कारण के परमेश्वर की ओर से उसका भरण-पोषण होता था। जब उसने देखा कि उसे सर्दियों में गर्मियों के फल और गर्मियों में सर्दियों के फल दिए जा रहे हैं, तो उसे एहसास हुआ कि परमेश्वर सब कुछ करने में सक्षम है, और जो मरियम को मौसम के अलावा भी भोजन देता है, वह उसे उसकी वृद्धावस्था और उसकी पत्नी के बांझपन के बावजूद एक पुत्र प्रदान करने में भी सक्षम है।
प्रमाण: पवित्र कुरान में इस स्थिति का उल्लेख है जिसने जकर्याह को सूरह अल इमरान में प्रार्थना करने के लिए प्रेरित किया:
كُلَّمَا دَخَلَ عَلَيْهَا زَكَرِيَّا الْمِحْرَابَ وَجَدَ عِندَهَا رِزْقًا ۖ قَالَ يَا مَرْيَمُ أَنَّىٰ لَكِ هَٰذَا ۖ قَالَتْ هُوَ مِنْ عِندِ اللَّهِ ۖ إِنَّ اللَّهَ يَرْزُقُ مَن يَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ (37) هُنَالِكَ دَعَا زَكَرِيَّا رَبَّهُ ۖ قَالَ رَبِّ هَبْ لِي مِن لَّدُنكَ ذُرِّيَّةً طَيِّبَةً ۖ إِنَّكَ سَمِيعُ الدُّعَاءِ (38)
(सूरत अल इमरान: 37-38).
तब जकरयाह ने अपने प्रभु की ओर सच्चे मन से प्रार्थना की, तथा उनसे प्रार्थना की कि वे उसे अच्छी संतान प्रदान करें, न कि राज्य या धन में उसका उत्तराधिकारी बनें, बल्कि उसके बाद संदेश ले जाना जारी रखें, नबी का पद प्राप्त करें, तथा लोगों को ईश्वर की ओर बुलाएं।
प्रार्थना का उत्तर: याह्या एक नाम और एक पैगम्बर है
जकरयाह (शांति उस पर हो) की प्रार्थना अनुत्तरित नहीं रही। जब वह पवित्र स्थान में प्रार्थना कर रहा था, तो स्वर्गदूतों ने उसे पुकारा और उसे याह्या नाम के एक लड़के की खुशखबरी दी। यह नाम अपने आप में एक चमत्कार था, क्योंकि उससे पहले किसी का भी यह नाम नहीं रखा गया था, जो इस लड़के की विशेष प्रकृति और उसके जन्म के आशीर्वाद को दर्शाता है।
जकरयाह इस खुशखबरी से हैरान था। वह बूढ़ा था और उसकी पत्नी बांझ थी, फिर भी उसे बेटा कैसे हो सकता है?
प्रमाण: अल्लाह तआला ने सूरत अल इमरान में कहा:
فَنَادَتْهُ الْمَلَائِكَةُ وَهُوَ قَائِمٌ يُصَلِّي فِي الْمِحْرَابِ أَنَّ اللَّهَ يُبَشِّرُكَ بِيَحْيَىٰ مُصَدِّقًا بِكَلِمَةٍ مِّنَ اللَّهِ وَسَيِّدًا وَحَصُورًا وَنَبِيًّا مِّنَ الصَّالِحِينَ (39) قَالَ رَبِّ أَنَّىٰ يَكُونُ لِي غُلَامٌ وَقَدْ بَلَغَنِيَ الْكِبَرُ وَامْرَأَتِي عَاقِرٌ ۖ قَالَ كَذَٰلِكَ اللَّهُ يَفْعَلُ مَا يَشَاءُ (40)
(सूरत अल इमरान: 39-40).
जकरयाह ने इस शुभ समाचार का संकेत माँगा, तो परमेश्वर ने उसे बताया कि उसका संकेत यह है कि वह तीन दिन तक लोगों से बिना संकेत के बात नहीं करेगा, तथा उसे ऐसी कोई बीमारी नहीं होगी जो उसे बोलने से रोकती हो, ताकि उसे इस बात का अधिक विश्वास हो जाए कि चमत्कार अवश्य होगा।
याह्या (उन पर शांति हो): एक धन्य पैगम्बर और एक प्रारंभिक उपासक
जॉन, शांति उस पर हो, भगवान के वादे को पूरा करने के लिए पैदा हुए थे। वह जन्म से ही एक विशेष बच्चा था, और भगवान ने उसे कम उम्र में ही ज्ञान दिया। वह धर्मपरायणता और धार्मिकता में बड़ा हुआ, अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्यनिष्ठ था, ईश्वर के धर्म के प्रति पूरी तरह समर्पित था, और सांसारिक मामलों को त्याग दिया था। ईश्वर ने उसे यीशु की नबूवत की पुष्टि करने के लिए चुना था, शांति उस पर हो, और उसके प्रकट होने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए।
प्रमाण: पवित्र कुरान ने सूरह मरयम में याह्या (शांति उस पर हो) के गुणों का वर्णन किया है: 1
يَا يَحْيَىٰ خُذِ الْكِتَابَ بِقُوَّةٍ ۖ وَآتَيْنَاهُ الْحُكْمَ صَبِيًّا (12) وَحَنَانًا مِّن لَّدُنَّا وَزَكَاةً ۖ وَكَانَ تَقِيًّا (13) وَبَرًّا بِوَالِدَيْهِ وَلَمْ يَكُن جَبَّارًا عَصِيًّا (14) وَسَلَامٌ عَلَيْهِ يَوْمَ وُلِدَ وَيَوْمَ يَمُوتُ وَيَوْمَ يُبْعَثُ حَيًّا (15)
(सूरा मरयम: 12-15).
याह्या (उन पर शांति हो) एक ऐसे नेक उपासक का उदाहरण थे जिन्होंने सांसारिक इच्छाओं को त्याग दिया और अपना जीवन ईश्वर की पूजा करने और लोगों को अच्छाई की ओर बुलाने में समर्पित कर दिया। वह ईश्वर की खातिर शहीद हुए, सत्य पर अड़े रहने और बुराई से रोकने के कारण अत्याचारियों ने उन्हें मार डाला।
निष्कर्ष: प्रार्थना, आशा और धर्मनिष्ठा के पाठ
जकर्याह और यूहन्ना (उन पर शांति हो) की कहानी उन कहानियों में से एक है जो आशा की प्रेरणा देती है और महान सबक सिखाती है:
- प्रार्थना का चमत्कार: प्रार्थना करने में कोई निराशा नहीं होती, क्योंकि परमेश्वर सब कुछ करने में सक्षम है, और उसकी शक्ति प्रत्यक्ष कारणों से परे है। जकर्याह की प्रार्थना हमें अपने अनुरोधों में दृढ़ रहना और प्रतिक्रिया के प्रति आश्वस्त होना सिखाती है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
- धार्मिक संतान का महत्व: यह कहानी धार्मिक संतान के महत्व को दर्शाती है जो पिता के भलाई और उपदेश के मार्ग को जारी रखते हैं, और वे केवल जीवन की शोभा नहीं हैं, बल्कि उपदेश का विस्तार हैं।
- छोटी उम्र से ही धर्मपरायणता और धार्मिकता: छोटी उम्र से ही याह्या (उन पर शांति हो) का धर्मपरायणता और धार्मिकता में पालन-पोषण उचित धार्मिक पालन-पोषण के महत्व को दर्शाता है, और यह कि पूजा और तप एक व्यक्ति के जीवन की शुरुआत से ही उसकी विशेषता हो सकती है।
- जीविका का सच्चा स्रोत: मरियम की कहानी, जो जकर्याह के लिए प्रेरणा का स्रोत थी, हमें याद दिलाती है कि सारा जीविका परमेश्वर से आता है, कि वह जिसे चाहता है बिना किसी सीमा के उसे प्रदान करता है, और कारण ही सब कुछ नहीं है।
- चाहे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े, सत्य का पालन करना: याह्या (उन पर शांति हो) ने अन्य पैगम्बरों की तरह सत्य का साथ नहीं छोड़ा और इसके लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। सिद्धांतों के लिए बलिदान देने का यह एक बड़ा सबक है।
जकरियाह और यूहन्ना (उन पर शांति हो) की कहानियाँ दो साक्ष्य हैं कि ईश्वर की शक्ति असीम है, कि वह उन लोगों को निराश नहीं करता जो उसे ईमानदारी से पुकारते हैं, और यह कि धैर्यवान और धर्मपरायण लोगों के लिए अंतिम परिणाम इस दुनिया और परलोक में महान पुरस्कार और उदारता है।
जकर्याह और यूहन्ना (उन पर शांति हो) की कहानी ने आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण सबक क्या छोड़ा है?